नई दिल्ली: पेरिस पैरालंपिक 2024 में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पैरा शूटर रुबीना फ्रांसिस ने हाल ही में गगन नारंग स्पोर्ट्स फाउंडेशन की पहल हाउस ऑफ ग्लोरी पॉडकास्ट में अपनी यात्रा और अनुभव साझा किए. इस बातचीत में उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर अपनी भावनाएं भी व्यक्त कीं.
महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 श्रेणी में भारत का नाम रोशन करने वाली रुबीना ने कहा, “अर्जुन पुरस्कार पाकर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं. यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बेहद खास पल है. यह मेरे करियर की कड़ी मेहनत का परिणाम है.”
उन्होंने बताया कि कैसे पिछले कुछ सालों में आईं चुनौतियों ने इस उपलब्धि को और खास बना दिया.
टोक्यो से पेरिस तक का सफर
रुबीना ने 2020 टोक्यो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सातवां स्थान हासिल किया था. हालांकि, उस प्रदर्शन ने उन्हें गहरा झटका दिया और खेल छोड़ने का विचार उनके मन में आया.
उन्होंने बताया, “टोक्यो में मेरे प्रदर्शन ने मुझे निराश कर दिया. मैंने खुद का विश्लेषण किया और अपनी कमियों को समझा.”
इस अनुभव ने उन्हें मानसिक रूप से और मजबूत बनाया. उन्होंने कहा, “मैंने महसूस किया कि खेल मनोविज्ञान कितना जरूरी है. टोक्यो के दौरान यदि मैंने इसका महत्व समझा होता, तो मेरा प्रदर्शन बेहतर होता.”
पेरिस पैरालंपिक में पदक जीतने से पहले, रुबीना ने 2022 से 2024 तक कई कोटा मैचों में निरंतर हार का सामना किया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कमजोरियों को दूर करते हुए इतिहास रच दिया.
मानसिक स्वास्थ्य पर जोर
रुबीना ने अपने सफर में मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, “खेलों में मानसिक दृढ़ता बेहद जरूरी है. हार का असर कुछ समय तक रहता है, लेकिन उससे बाहर निकलना ही असली जीत है. मैंने सीखा कि खुद को कैसे सामान्य रखा जाए और आगे बढ़ा जाए.”
रुबीना फ्रांसिस का यह सफर न केवल उनकी दृढ़ता और मेहनत का उदाहरण है, बल्कि देश के युवा खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा है. अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित होकर उन्होंने न केवल अपनी उपलब्धियों को नया आयाम दिया है, बल्कि आने वाले समय में और ऊंचाइयों तक पहुंचने का भरोसा भी जताया है.
हिन्दुस्थान समाचार