देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में सख्त भू-कानून से संबंधित विधेयक 20 फरवरी को पेश किया गया. इसके अतिरिक्त कुछ अन्य विधेयक भी सदन में पेश किये गये.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए भूमि संसाधन का बेहतर प्रयोग किए यह सख्त भू-कानून है. यह निर्णय राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उनके विश्वास को कभी टूटने नहीं देगी. निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा.
सख्त भू-कानून के संबंध में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) संशोधन विधेयक 2025 सदन में पेश किया गया. प्रदेश में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सख्त भू-कानून की लंबे समय से चल रही मांग के मद्देनजर सरकार ने यह विधेयक तैयार किया है. इस विधेयक में प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में राज्य के बाहरी लोगों के लिए कृषि और बागवानी की जमीन की खरीद पर पाबंदी लगा दी गई है. इसमें डीएम के अधिकार खत्म कर दिये गये हैं. त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के सभी संशोधन निरस्त कर दिये गये हैं. व्यावसायिक उपयोग के लिए 12 एकड़ तक जमीन खरीदने के नियम को भी निरस्त कर दिया गया है. इतना ही नहीं निकाय क्षेत्र में भी सरकार द्वारा विकसित पोर्टल के माध्यम से ही जमीन खरीदने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए शपथ पत्र भी देना होगा कि उनके पास जमीन का कोई और टुकड़ा नहीं है. इसके अतिरिक्त वीरवार को सदन में नगर निगम संशोधन विधेयक 2024 को लेकर प्रवर समिति की रिपोर्ट भी पेश की गयी.
सदन में पेश अन्य विधेयक:
1. उत्तराखंड माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2025.
2. उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2025.
3. उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश लोक सेवा शारीरिक रूप से विकलांग स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण) अधिनियम 1993 संशोधन विधेयक 2025.
4. जल प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक 2024.
5. उत्तराखंड लोकसेवा (कुशल खिलाड़ियों के लिए क्षैतिज आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2025.
6. उत्तराखंड क्रीड़ा विश्वविद्यालय विधेयक.
हिन्दुस्थान समाचार
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