Delhi Assembly Session: दिल्ली विधानसभा का सत्र चल रहा है, इसके दूसरे दिन आज मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने CAG की रिपोर्ट को ऑन टेबल किया गया है. इस रिपोर्ट में दिल्ली की AAP सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली की शराब नीति बदलने से 2002 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. शराब घोटाले में हुए अन्य नुकसान इस प्रकार से हैं-
आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली में लाई गई शराब नीति से तकरीबन 2,002 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
राजधानी में कुछ शराब रिटेलर्स ने पॉलिसी को खत्म होने तक लाइसेंस को जारी रखा है.
रिपोर्ट में बताया गया कि रिटेंडर प्रक्रिया के होने से लगभग 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
जोनल लाइसेंस को जारी करने और छूट देने में लगभग 940 करोड़ रुपये का घाटा सामने आया है.
रिपोर्ट में हुए कई अहम खुलासे
रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व घाटा हुआ. नीति बनाते समय कमजोर फ्रेमवर्क और अपर्याप्त क्रियान्वयन के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ. रिपोर्ट में बताया गया कि लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में कई नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ. शराब नीति में सुधार और बेहतर नियमन के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. इस समिति ने कई सिफारिशें दी थीं, लेकिन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने इन सिफारिशों को दरकिनार कर दिया.
रिपोर्ट में 2021-22 की आबकारी नीति से सरकार को 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का दावा किया गया है. रिपोर्ट में नियमों की अनदेखी, गलत लाइसेंसिंग, और पारदर्शिता की कमी को इसके मुख्य कारणों में बताया गया है.
शराब की दुकानें खोलने के लिए “नॉन-कंफर्मिंग म्यूनिसिपल वार्ड्स” में समय पर अनुमति नहीं ली गई. नॉन-कंफर्मिंग क्षेत्र वे होते हैं जो भूमि उपयोग मानदंडों के अनुरूप नहीं होते, फिर भी वहां शराब की दुकानें खोलने की योजना बनाई गई थी.
इसमें हुई देरी और गड़बड़ियों की वजह से आबकारी विभाग को लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इन दुकानों के लाइसेंस रद्द होने के बाद नए टेंडर जारी करने में भी देरी हुई, जिससे राजस्व घाटा और बढ़ गया. कोविड महामारी के दौरान लाइसेंसधारियों को सरकार की ओर से दी गई छूट के कारण 144 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ.