Uttarakhand Tourism: अगर आप भी वही पुराने बोरिंग टूरिस्ट प्लेसिस घूमकर तंग आ चुके हैं तो उत्तराखंड में ऐसी तमाम हिडन जगहें मौजूद हैं, जहां जाकर अपने ट्रेवलिंग एक्सपीरियंस को और भी यादगार बना सकते हैं. ऐसा ही एक अनमोल रतन चोपता हिल स्टेशन है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में पड़ने वाला चोपता समुद्रतल से 8,556 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. हरी-भरी पहाड़ियों , झरनों और बर्फ के बीच बसा यह हिल स्टेशन धरती पर स्वर्ग से कम नहीं है.
यही कारण है कि इसे मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. यहां घूमने से लेकर एडवेंचर और फन एक्टिविटी करने तक के भी कई विकल्प मौजूद हैं, वहीं प्रकृति की गोद में रहकर शांति और सुकून का एहसास होगा. आज चोपता में ऐसी ही घूमने की जगहों के बारें में बताने जा रहे हैं जहां विजिट कर सकते हैं.
तुंगनाथ, चंद्रशिला में भक्ति और आस्था का मिलन

चोपता सैलानियों के साथ अध्यात्म की खोज करने वालों का ठिकाना भी रहा है. यहीं से तुंगनाथ मंदिर का 3.5 किलोमीटर का ट्रेक शुरू होता है. यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है जोकि 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां धार्मिक महत्व के सात हिमालय के खूबसूरत व मनमोहक दृश्यों को देखने के लिए लोग देश-विदेश से चोपता पहुंचते हैं. वहीं प्रकृति प्रेमियों को यहां आकर स्वर्ग जैसा एहसास होता है. तुंगनाथ मंदिर से थोड़ा ऊपर चंद्रशिला है जहां भगवान श्री राम ने ध्यान लगाया था. इन दिनों श्रद्धालुओं के साथ सभी टूरिस्टों के लिए यह जगह विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. चोपटा से तुंगनाथ और चंद्रशिला तक ट्रैक करके ही पहुंचा जा सकता है.
देवरिया ताल में प्रकृति के रंग

देवरिया ताल चोपता की सबसे खास जगहों में से एक हैं जहां ज्यादातर सैलानी जाना पसंद करते हैं. चोपता के सारी गांव में 3 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद यह खूबसूरत झील देश की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से 7, 999 की ऊंचाई पर स्थित है. इसके आस-पास चौखंबा, बंदरपंच, केदरानाथ, कालानाग की खूबसूरत पहाड़ियां दिखाई देती हैं, वहीं बर्फ और हरियाली किसी को भी इस जगह का दीवाना बना देगी. शांत जल और साफ वातावरण के कारण यह हर साल पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है.
ऊखीमठ की आध्यात्मिक दुनिया

चोपता से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान धार्मिक और आध्यात्म के प्रमुख केंद्रों के रूप में जाना जाता है. यह समुद्रतल से 4301 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह स्थान केदारनाथ और मध्यमहेशवर मंदिर का शीतकालीन पड़ाव स्थल है. जब हाड कंपाने वाली सर्दियों में बर्फबारी हो रही होती है तो केदारनाथ आदि कई ऊंचे मंदिरों को बंद कर दिया जाता है, ऐसे में ऊखीमठ में ही उस समय उनकी पूजा की जाती है. हिंदुओं के लिए इस जगह का खास महत्व है.
रोहिणी बुग्याल में हरियाली

चोपता के खूबसूरत घास के मैदानों में रोहिणी बुग्याल का नाम भी आता है, इसकी खूबसूरती और हरियाली दूर से ही सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. यह जगह काफी बड़े क्षेत्र में होने की वजह से शांत रहती है, जोकि ट्रेवल फोटोग्राफर और शांति की खोज कर रहे लोगों के लिए एक परफेक्ट स्पॉट है. मौसम ठीक होने पर यह जगह फूलों से भर जाती है. रोहिणी बुग्याल से नंदा देवी त्रिशूल के आसपास का व्यू काफी साफ नजर आता है.
दुग्गलबिट्टा – बर्ड वचिंग

चोपता की बात हो और दुग्गलबिट्टा का नाम न आए ऐसा नहीं हो सकता. पहाड़ों की गोद में बसी यह जगह मानसिक शांति के साथ सुकून भी देती है. जहां ट्रेवल फोटोग्राफर और सैलानी पहुंचना पसंद करते हैं. वहीं ट्रैकिंग करने वालों के लिए ये जगह पड़ाव की तरह काम करती है जहां थके हुए लोग रुककर सुकून के दो पल बिताते हैं. यहां अलग तरह के पक्षियों की आवाज सुनना खासतौर पर लोगों को पसंद आता है. यह जगह चोपता से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है .
सारी गांव में सुकून के दो पल

सारी गांव चोपता से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव है. यह स्थान समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक खूबसूरत प्राकृतिक गांव है. सारी गांव चारों तरफ से बुरांस (रोडोडेंड्रोन) के पेड़ों से घिरा हुआ है जो इसे सबसे खास बनाता है. हिमालय की गोद में बसा यह गांव किसी और खूबसूरत दुनिया में होने का एहसास देता है जहां शांति, साफ जल-वायु, हरियाली और ढेर सारा सुकून है.
कांचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण

कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण मंदिर चोपता के छिपे हुए खजानों में से एक है जहां कई प्रजातियों के जानवर और खासतौर पर दुर्लभ कस्तूरी मृग पाए जाते हैं. वहीं हरे-भरे जंगल वनप्रेमियों को अपनी तरफ खींचते हैं. कई लोग अभ्यारण के पक्षियों और पशुओं को देखने के लिए यहां विशेषतौर पर आना पसंद करते हैं. यह अभ्यारण चोपता से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां प्रकृति और खूबसूरती का अद्भुत संगम मिलता है.
कैसे पहुंचे चोपता?
चोपता धीरे-धीरे सैलानियों का नया ठिकाना बनता जा रहा है जहां हर साल बड़ी संख्या में लोग पहुंचना पसंद करते हैं, मगर अभी भी ज्यादातर लोगों को इसके बारे में कुछ खास नहीं पता है. यहाँ कई तरीकों से पहुंचा जा सकता है.
सड़क मार्ग से
चोपता तक सड़कों का जाल फैला हुआ है इसलिए यह रास्ता सबसे ज्यादा अनुकूल है. दिल्ली से चोपता 401 किलोमीटर दूर है जिसे 8-9 घंटों में तय किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार पहुंचे. यहां से चोपता के लिए बस, कार या प्राइवेट कैब ले सकते हैं. वहीं डायरेक्ट दिल्ली से चोपता के लिए भी बस ले सकते हैं.
रेल के रास्ते
चोपता का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जहां तक ट्रेन से जा सकते हैं, इसके आगे टैक्सी या कैब लेकर चोपता के लिए आगे जा सकते हैं.
हवाई जहाज के रास्ते
सबसे पास देहरादून का जॉलिग्रांट एयरपोर्ट है जहां से चोपता की दूरी 225 किलोमीटर है. वहां पहुंचकर आगे के लिए बस, टैक्सी या कैब पकड़कर
चोपता जाने का सबसे ठीक समय
अगर आप भी चोपता की ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो वहां जाने के लिए सबसे ठीक समय अप्रैल से नवंबर तक का है. इस बीच जहां एक तरफ बर्फ की मोटी परत छट जाती है तो वहीं दूसरी तरफ मौसम भी सुहावना रहता है. चारों तरफ हरियाली छा जाती है, ऐसे में कई बार बर्फबारी भी होती है. ऐसे में इस समय जरूर से ट्रिप का प्लान बनाना चाहिए.
यह भी पढ़ें – Uttarakhand: ब्वारी गांव में महिलाओं के हाथों टूरिज्म की कमान, होमस्टे के साथ विलेज टूर की भी सुविधा
यह भी पढ़ें – उत्तराखंड के इस हिल स्टेशन में कम पैसों में मिलती हैं रहने से लेकर खाने तक की सुविधाएं, भूलकर भी न करें मिस
यह भी पढ़ें – Uttarakhand: बदल रही है टूरिज्म की तस्वीर, होम स्टे से टूरिज्म को मिल रहे हैं नए आयाम