Uttarakhand Tourism: भला घूमना फिरना किसे पसंद नहीं होता और जब घूमने की बात हो तो उत्तराखंड का नाम जरूर आता है. जहां एक तरफ इस प्रदेश में हिमालय के ऊंचे पहाड़ उनकी गोद में उछलती खेलती नदियां और चारों तरफ हरियाली है तो वहीं धार्मिक पर्यटन के लिए भी ये भूमि विशेष तौर पर आकर्षण का केंद्र रही है. नैनीताल, हरिद्वार, मसूरी, ऋषिकेश ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में ऐसे कई ऑफ बीट डेस्टिनेशन प्लेसिज भी मौजूद हैं जहां आप शहर की भागदौड़ से दूर सुकून के दो पल गुजार सकते हैं.

आज इस आर्टिकल में हर उत्तराखंड की ऐसी ही ऑफ बीट डेस्टिनेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाकर नेचर के और करीब शांति और सुकून को महसूस कर पाएंगे.
खिर्सु में सुकून के दो पल (Khirsu)

पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र में स्थित खिर्सु एक छोटा सा गांव है, जहां की प्राकृतिक खूबसूरती हर किसी को अपनी तरफ खींचती है. देहरादून से केवल 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव के चारों ओर त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचाचुली की चोटियां हिमालय का शानदार व्यू पेश करती हैं. वहीं हरियाली और बर्फ चारचांद लगाती है. शांति पूर्ण वातावरण मन तरोताजा कर देते हैं, तो वहीं हरे-भरे और देवदार के पेड़, सेब के पेड़ों से घिरा बाग हर किसी का ध्यान खींचता है. ट्रैकर्स, सोलो ट्रैवलर्स और नेचर फोटोग्राफर्स के लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है.
पाताल भुवनेश्वर – एक रहस्यमयी गांव (Patal Bhuvneshwar)

पाताल भुवनेश्वर की गिनती उत्तराखंड के रहस्यमयी स्थानों में से होती है. शिव के इस रहस्यमयी लोक में 160 किलोमीटर लंबी और 90 किलोमीटर गहरी चूना पत्थर की संकरी और अंधेरी गुफा है. यहीं एक काफी प्राचीन गुफा मंदिर भी है. जहां तक पहुंचने के लिए 90 फीट तक की गहराई में उतरना पड़ता है. इससे जुड़ी तमाम धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं भी हैं. यहीं कारण है कि हर साल देशभर से श्रद्धालु यहाँ खिंचे चले आते हैं.
लोहाघाट में करें मेडिटेशन (Lohaghat)

उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित लोहाघाट अपनी मनमोहक खूबसूरती से कई पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है. इस स्थान का नाम यहाँ बहने वाली लोहावती नदी के नाम पर रखा गया है. वहीं यहां कई मंदिर मौजूद हैं जिसकी अपनी धार्मिक और मान्यताएं हैं. यहाँ मौजूद ऊंचे पहाड़ और देवदार के पेड़ मन को उत्साह और रोमांच से भर देंगे. यहां मानसिक शांति की खोज में योग और मेडिटेशन भी कर सकते हैं.
काकरीघाट में अध्यात्मिक अनुभव (Kakrighat)

नैनीताल में मौजूद काकरीघाट नीम करोली बाबा के लिए काफी फेमस है जहां दुनियाभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. वहीं कोसी नदी के पास मौजूद यह जगह रानीखेत जाने वालों के लिए भी खूबसूरत पड़ाव स्थल है. स्वामी विवेकानंद भी ध्यान के लिए इसी पावन धरा पर आए थे. इस जगह पर ठहर कर आप योग, मेडिटेशन, नेचुरल फोटोग्राफी जैसी तमाम एक्टीविटीज भी कर सकते हैं. वहीं लुभावने पहाड़ और चारों ओर हरियाली किसी और ही दुनिया में होने का एहसास देती हैं.
चोपता-सारी गांव का एक्सपीरियंस (Chopta Sari Village)

बर्फ से लदे विशाल पहाड़ और दूर तक फेले घास के मैदान, यहीं चोपता सारी गांव की पहचान है. यह एक जानामाना स्पॉटऑवर है जहां चंद्रशिला और तुंगनाथ ट्रैक के दौरान ठहर सकते हैं. यहां की फेमस चित्रा गुफाएं किसी लाइफटाइम अनुभव से कम नहीं हैं. यह गांव चोपता से 15 किलोमीटर की दूरी पर है जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है, वहीं दो घड़ी ठहरकर कस्तूरी मृग, कंचुला कोरक का दीदार भी कर सकते हैं. शहरी भाग-दौड़ से दूर यह जगह शांत होने के साथ कभी न भुलाया जा सकने वाले एक्सपीरियंस भी देती है.
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