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उत्तराखंड के लिपुलेख और इस स्थान से शुरू होती है कैलाश मानसरोवर यात्रा, जानें खर्चा व पूरी ट्रिप को लेकर हर डिटेल

कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र कहा जाता है, कहा जाता है कि जो भी कुछ है इसी के ईर्द-गिर्द मौजूद है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी पार्वती माता के साथ विराजते हैं.

Diksha Gupta by Diksha Gupta
May 1, 2025, 04:23 pm GMT+0530
कैलाश मानसरोवर यात्रा में खर्चे और ट्रिप की पूरी डीटेल

खर्चे से लेकर रास्ते तक : कैलाश मानसरोवर याभा की पूरी डीटेल

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Kailash Mansarovar Yatra: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा 5 सालों के बाद अब फिर से शुरू होने जा रही है. यह साल 2020 से बंद पड़ी थी जिसके चलते तमाम शिव भक्त इस इंतजार में थे कि यह दोबार कब शुरू होगी. कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान भी कहा जाता है, जिसका वर्णन हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है. वहीं इस पर्वत से थोड़ा नीचे एक सरोवर मौजूद है जिसे मानसरोवर नाम दिया गया है. यहां जाने का सपना ज्यादातर शिव भक्तों की आंखों में रहता है. यही कारण है कि इस यात्रा में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता आता है.

कैलाश मानसरोवर न केवल हिंदुओं बल्कि अन्य धर्मों में भी काफी महत्व रखता है. कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र कहा जाता है, कहा जाता है कि जो भी कुछ है इसी के ईर्द-गिर्द मौजूद है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी पार्वती माता के साथ विराजते हैं, जोकि यहां की दिव्यता को और भी बढ़ा देता है. यह हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है.

कैलाश मानसरोवर की विशेषताएं 

Kailash Mansarovar
Kailash Mansarovar

बता दें कि मानसरोवर शब्द दो शब्दों – (मन + सरोवर) से मिलकर बना है. इसका शाब्दिक अर्थ मन का सरोवर होता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक मानसरोवर वह खास झील है जिसे खुद ब्रह्मदेव ने अपने मन में बसाया था. उनकी कल्पना के हिसाब से ये कैलाश के ठीक नीचे स्थित है. इससे इस स्थान की महत्ता और भी बढ़ जाती है. वहीं कई लोग इसे मोक्ष का द्वार भी कहते हैं, जहां जानें मात्र से ही सभी प्रकार के दुखों और कष्टों का अंत हो जाता है. इस आर्टिकल में कैलाश मानसरोवर जानें के रास्ते और इस यात्रा में आने वाले खर्चे के बारे में डीटेल में बताने जा रहे हैं-

बता दें कि इस मानसरोवर की कुल परिधि 90 किमी है, इसकी गहराई 90 मीटर है तथा कुल क्षेत्रफल 320 वर्ग किमी है. झील सर्दियों में जम जाती है और केवल वसंत के दिनों में ही पिघलती है. रात के समय से झील का पानी चमक उठता है, ऊपर चमकने वाले तारें इसमें साफ नजर आते हैं. ये सभी मिलकर उस दृश्य को अविश्वसनीय पल बनाते हैं.

5 सालों बाद शुरू हो रही है कैलाश मानसरोवर यात्रा 

Kailash Mansarovar (1)
Kailash Mansarovar (1)

कैलाश मानसरोवर स्थान तिब्बत क्षेत्र में मौजूद है, जोकि चीन के कब्जे के अंतर्गत आता है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई तकरीबन 22068 फुट है, वहीं इस स्थान की यात्रा का लिए वीजा की जरूरत होती है. अब 5 सालों के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू होने जा रही है, साल 2020 भारत चीन डोकलाम विवाद के चलते यह बंद पड़ी थी. कैलाश मानसरोवर की यात्रा कई शिवभक्तों का सपना होती है. मानसरोवर का नीला, सुंदर और साफ जल पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी तरफ खींचता है. इसके पास ही एक और सुंदर सरोवर रकसाल है और इन दोनों के बीच उत्तर दिशा में कैलाश पर्वत मौजूद है. वहीं दक्षिण में गुरला शिखर देखने को मिलता है.

मानसरोवर यात्रा करने के कितने मार्ग ? 

Kailash Mansarovar Yatra Routes
Kailash Mansarovar Yatra Routes

सभी श्रद्धालु और अन्य पर्यटक मानसरोवर यात्रा के लिए https://kmy.gov.in/kmy/ पर जानकर आवेदन कर सकते हैं.

कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के लिए भारत में दो रास्ते हैं. 1) उत्तराखंड का लिपुलेख पास, 2) सिक्किम का नाथुला पास

लिपुलेख दर्रे से : कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के लिए उत्तराखंड के धारचुला में लिपुलेख दर्रे से होने वाला रास्ता एक पारंपरिक यात्रा मार्ग है. इसके बाद तवाघाट तवाघाट, गुंजी, नाभीढंगा होते हुए जाती है. इसके बाद लिपुलेक पास से होते हुए यह यात्रा सम्पन्न होती है. इसकी कुल दूरी मात्र 65 किलोमीटर दूर है.

नाथुला दर्रे से : ये यात्रा रूट अपेक्षाकृत नया है और जल्दी लोगों को उनके स्थान तक पहुंचाता हैं. यहां से मानसरोबर की दूरी 802 किलोमीटर है. इसमें सिक्किम के नाथुला दर्रे से हुए हुए, कागमा और जोंगबा के रास्ते कैलाश मानसरोबर पहुंचाया जाता है. बता दें कि दोनों ही रास्तों से यात्रा को पूरा करने में 22 दिनों का समय लगने वाले हैं

कैलाश मानसरोवर यात्रा रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. इसके लिए कुछ मूलभूत दस्तावेजों की जरूरत होती है जिसमें से कुछ इस प्रकार से हैं.

..पासपोर्ट साइज स्कैन व्यक्ति की फोटोग्राफ
..पासपोर्ट के पहले और आखिरी पेज की स्कैन की गई कॉपी, जिसे फॉर्म में लगाया जा सके.
..दिया गया मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी वैध होनी चाहिए.
..दिया गया पासपोर्ट कम से कम 6 महीनों के लिए वैध होना चाहिए.

कैलाश मानसरोवर जानें में कितना खर्च आता है?

बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे कठिन यात्राओं में से एक है. ऊंचाई पर स्थित होने के चलते यहां कई थ्रिलिंग और दिल को छू जाने वाले नजारे देखने को मिलते है, वहीं एक अलग आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनने को मिलता है. इस पूरी यात्रा को करने में तकरीबन 22-25 दिन लगते हैं वहीं, 1.6 से लेकर 3 लाख रुपये तक का खर्चा आता है. लिपुलेख पास से लगभग प्रतिव्यक्ति 1.5 लाख का खर्च आता है. दूसरा रूट नाथुला पास मार्ग से 1.7-1.9 लाख तक का खर्चा आता है.

अन्य धर्मों की भी आस्था का केंद्र है कैलाश मानसरोवर

Kailash Mansarovar
Kailash Mansarovar

ये बात तो विश्व विख्यात है कि कैलाश मानसरोवर हिंदूओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, मगर कई दूसरे धर्मों में भी इस स्थान को दिव्य और पवित्र माना जाता है. इससे न जानें कितने ही भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है.

इस क्षेत्र के तिब्बतियों का मानना है कि वहां उनके एक संत कवि ने कई सालों तक गुफा में रहकर तपस्या की थी. कई बौद्ध श्रद्धालु इसे भगवान बुद्ध और मणिपद्मा का निवास स्थान मानते हैं. यहां वो बुद्ध के डेमचौक रूप की पूजा करते हैं.

जैनी मान्यताओं के अनुसार यह कैलाश आदिनाथ ऋषभदेव का निर्वाण स्थल अष्टपद है. उनका मानना है कि ऋषभदेव ने 8 कदमों में इस स्थान की थी. इसलिए वो इस स्थान को पूजते हैं.

यहीं एक शक्तिपीठ भी मौजूद है, इसे लेकर कहा जाता है कि इसी स्थान पर देवी सती के आग में भस्म होने के बाद यहीं शरीर का दायां हाथ गिरा था. जोकि कालांतर में एक पाषाण शिला बन गया. इसे आज भी देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक मानकर इसकी पूजा की जाती है.

वहीं पंजाबी मान्यताओं के मुताबिक इसी स्थान पर सिक्खों के गुरु नानक देव ने यहां रहकर कुछ दिनों तक ध्यान लगाया था. इसी वजह से यह सिक्ख धर्म में ये स्थान काफी मायने रखता है.

Tags: ChinaKailash MansarovarLord shivMAIN NEWSshiv jiTourismTourist PlacesUttarakhand
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