लखनऊ में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन इकाई का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्चुअली किया. 300 करोड़ रुपये की लागत से 80 हेक्टेयर में बनी यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस फैसिलिटी, यूपी सरकार द्वारा निःशुल्क भूमि प्रदान किए जाने के बाद स्थापित की गई है. यहां हर साल 80–100 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और 100–150 नेक्स्ट जनरेशन की ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलें तैयार होंगी.
इसी मौके पर टाइटेनियम और सुपर अलॉय मटेरियल्स प्लांट का उद्घाटन हुआ, जो रक्षा क्षेत्र के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री बनाएगा. साथ ही, रक्षा परीक्षण अवसंरचना प्रणाली (DTIS) की आधारशिला भी रखी गई, जो रक्षा उपकरणों की टेस्टिंग और प्रमाणन का कार्य करेगी.
आईए जानते हैं कि क्या है यूपी डिफेंस कॉरिडोर? और क्यों इसे भारत को रक्षा विनिर्माण में वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है?
क्या है यूपी रक्षा कोरिडोर?
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (UPDIC) भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है. इसे रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया है. इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में की थी, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है. इस कोरिडोर को विकसित करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) को सौंपी गई है.
किन क्षेत्रों को कवर करेगा कोरिडोर
यह कोरिडोर राज्य के छह प्रमुख क्षेत्रों – अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ में विकसित किया जा रहा है. इन क्षेत्रों में रक्षा विनिर्माण से संबंधित उद्योगों को भूमि, बुनियादी ढांचा और प्रशासनिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों और तकनीकों का निर्माण कर सकें. इस परियोजना के अंतर्गत 5,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि चिन्हित की गई है, जिसमें विभिन्न निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने निवेश की प्रतिबद्धता जताई है.
डिफेंस कोरिडोर के प्रमुख उद्देश्य
डिफेंस कोरिडोर का मुख्य उद्देश्य भारत की रक्षा जरूरतों को स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से पूरा करना है ताकि विदेशी आयात पर निर्भरता कम हो. साथ ही यह योजना राज्य में युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न कर रही है. अनुमान के अनुसार, इस परियोजना से लगभग 40,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे. इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि स्थानीय उद्योगों को भी रक्षा उत्पादन से जोड़कर व्यापक विकास सुनिश्चित किया जा सके.
ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण, एके-203 असॉल्ट राइफल संयंत्र, ड्रोन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम्स, तथा अन्य अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों के निर्माण की परियोजनाएँ इस कोरिडोर में प्रस्तावित हैं. ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने लखनऊ में मिसाइल निर्माण इकाई स्थापित की है, वहीं कानपुर में अदानी डिफेंस दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी शस्त्र निर्माण इकाई स्थापित कर रहा है.
इस कोरिडोर की एक खास बात यह है कि इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख एक्सप्रेसवे नेटवर्क जैसे बुंदेलखंड, गंगा, यमुना और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ा गया है, जिससे लॉजिस्टिक सपोर्ट और कनेक्टिविटी मजबूत हुई है. यह रणनीतिक कनेक्टिविटी उत्तर भारत को एक प्रभावशाली रक्षा उत्पादन हब में बदलने में सहायक साबित हो रही है.
सही मायने में देखा जाए तो उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर सिर्फ एक औद्योगिक परियोजना नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रयास है जो भारत की रक्षा स्वावलंबन नीति को गति देने के साथ-साथ, राज्य की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति को भी नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहा है.