उत्तराखंड के मदरसों में ऑपरेशन सिंदूर पढ़ाया जाएगा. हाल ही में प्रदेश मदरसा अध्यक्ष बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इसकी घोषणा की है. इससे जुड़े अध्याय को सभी बच्चों को पढ़ाने और पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है. उनके अनुसार मदरसों को आधुनिक बनाने के और उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए ये कदम उठाया गया है. इससे जहां एक तरफ बच्चे सेना के शौर्य और पराक्रम के बारे में जान सकेंगे तो वहीं उनके अंदर देशभक्ति की भावना भी प्रवल हो सकेगी.
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने की घोषणा
#OperationSindoor will be taught as a part of curriculum in all Madarsas of Uttarakhand. Uttarakhand Madarsa Board under patronage of CM Shri @pushkardhami ji has already implemented NCERT syllabus and imparting modern education. @narendramodi @PMOIndia @ukcmo pic.twitter.com/BY1AnbvEiJ
— Mufti Shamoon Qasmi (@muftishamoon) May 20, 2025
बता दें कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष कासमी ने हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है. इस दौरान उन्होंने बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि राज्य में इस समय 451 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. इसमें करीब 50,000 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जमकर तारीफ करके हुए सशस्त्र बलों की बहादुरी और जज्बे को भी सराहा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस नए विषय को इंटरमीडिएट लेवल की कक्षाओं में जल्द ही लागू किया जा सकता है, वहीं इसे लेकर जल्द ही कोई नई समिति बनाई जा सकती है.
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 निहत्थे भारतीयों उनका धर्म पूछकर मारा था, इससे पूरे देश में गुस्सा था. इस घटना का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के सशस्त्र बलों ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर नाम से एक सैन्य अभियान चलाया. इसमें पाकिस्तान और पीओजेके (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर) में 21 आतंकवादी ठिकानों को टारगेट करके 9 को टारगेट किया गया. इसमें सेना ने प्रमुख रूप से जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन के ट्रेनिंग कैंप को नष्ट किया गया था. यह पूरा ऑपरेशन 25 मिनट तक चला था, जिसमें व्यवस्थित और चरणबद्ध तरीके से नष्ट किया गया.
सेना ने दिया पराक्रम का परिचय
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओजेके के 970 किलोमीटर के एरिया में फैले आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया. इसमें बहवलपुर, मुरीदके, शवाई नाल्लाह, मुजफ्फराबाद और सियालकोट में कई आतंकी कैंपों को निशाना बनाया गया था. सेना ने वीरता और शौर्य का परिचय दिया है.
पूरा देश कर रहा है सेना के शौर्य को सलाम
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाए गए सेना के इस शौर्य और पराक्रम को पूरा देश सेल्यूट कर रहा है. क्या केंद्र सरकार, क्या विपक्ष देश की तमाम पार्टियों से लेकर पूरे 140 करोड़ की जनता तक सेना के इस काम को सराह रही है. इसी को देखते हुए दुनिया के ज्यादातर देश सेना के पराक्रम की तारीफ कर रहे हैं और भारत के साथ आ गए हैं.
ऑपरेशन सिंदूर को सिलेबस में लाने का उद्देश्य
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर मदरसों की शिक्षा में कई विशेष उद्देश्यों के लिए शामिल किया जा रहा है. इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-
- इसे सिलेबस में शामिल करने से बच्चों को भी सेना के शौर्य और पराक्रम के बारे में जानने में मदद मिलेगी. साथ ही बच्चों के मन में सेना के प्रति गर्व का अनुभव होगा.
- मदरसों में इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने से छात्रों एवं छात्राओं के दिल में देशभक्ति की भावना पैदा करना है.
- ज्यादातर लोगों को सुरक्षा कारणों से सेना से जुड़े किस्सों के बारें में जानने को नहीं मिल पाता है. वहीं ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सबकुछ ऑफिशियल किया गया है. ऐसे में इससे जुड़ी सारी जानकारियों को भी पब्लिक किया गया. इसलिये इसे जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है.
पहले रामायण और संस्कृत को मदरसों में किया गया
उत्तराखंड में मदरसों के पाठ्यक्रम में इससे पहले रामायण और संस्कृति आदि भाषाओं को जोड़ने का निर्णय लिया गया था. इसके अंतर्गत श्रीराम के जीवन संघर्षों से जुड़ी कहानियों को बच्चों तक पहुंचने और देश की प्राचीनतम भाषा से लोगों को जोड़ने के लिए लाया गया था. मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष की तरफ से इसकी घोषणा करते हुए कहा गया था कि इन चीजों के बारें में जानकर मदरसों के बच्चे के सनातन और देश के इतिहास के बारे में जान और समझ सकेंगे.
इस फैसले और उत्तराखंड के मदरसों को लेकर जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष से लेकर राजनीति से जुड़े लोगों ने सवाल खड़े किए थे. साथ ही इसका जमतक विरोध भी किया था. हालांकि विरोध ज्यादा होने पर बाद में केंद्र सरकार की तरफ इस दावे को खारिज कर दिया गया था.
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