राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर स्थित हेडगेवार स्मृति भवन में आयोजित ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय’ के समापन समारोह को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे राष्ट्र की एकता और सुरक्षा के लिए एक चेतावनी बताया. उन्होंने न केवल इस हमले की निंदा की, बल्कि इसके बाद देश में दिखाई गई एकता और राजनीतिक परिपक्वता की भी जमकर सराहना की.
डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि जब देश पर कोई संकट आता है तो हमें सामूहिक रूप से खड़ा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुआ हमला अत्यंत निंदनीय था, लेकिन इसके बाद देशभर में जिस प्रकार की एकता और दृढ़ता देखने को मिली, वह भारतीय समाज की शक्ति को दर्शाती है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आतंकवादी घटनाएं केवल कुछ निर्दोषों को नहीं मारतीं, बल्कि वे हमारे सामाजिक मनोबल और राष्ट्रीय एकता को भी चुनौती देती हैं. ऐसे समय में सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुट हों.
अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि राजनीतिक नेतृत्व ने इस हमले के बाद जिस प्रकार से एकता दिखाई, वह अत्यंत सराहनीय है. उन्होंने कहा कि सामान्यतः राजनीतिक दलों में तीव्र मतभेद होते हैं, लेकिन इस संकट के समय वे सभी एक स्वर में बोले, जो कि भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता का संकेत है. उन्होंने इस एकता को आदर्श उदाहरण बताया.
डॉ. भागवत ने इस मौके पर यह भी कहा कि भारत को अब आत्मनिर्भर बनना होगा, विशेषकर रक्षा प्रणाली में. उन्होंने कहा कि आज युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते, बल्कि साइबर, आर्थिक और मानसिक स्तर पर भी युद्ध हो रहे हैं. ऐसे में आत्मनिर्भरता और चौकसी अनिवार्य हो गई है. उन्होंने समाज से आग्रह किया कि वे सतर्क रहें और राष्ट्रविरोधी शक्तियों के मंसूबों को पहचानें.
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