आज हिमालय दिवस है. इस खास दिन हम हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. इस खास मौके पर राज्यभर में हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन व आपदाओं से पड़ रहे असर और इससे निपटने के उपायों पर मंथन होगा. हिमालय के प्रति सबकी समझ बने, इस संदेश के साथ देहरादून में जुलूस का आयोजन किया गया है.
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान में हिमालयी क्षेत्र में आपदाएं, इसके कारण और समाधान पर विमर्श होगा. हिमालयन इन्वायरमेंट स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन (हेस्को) के संस्थापक पद्मभूषण डा अनिल प्रकाश जोशी ने उक्त जानकारी दी.
डा अनिल प्रकाश जोशी ने बताया कि न केवल उत्तराखंड, बल्कि अन्य हिमालयी राज्यों में भी हिमालय दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम होंगे, जिनमें विज्ञानियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी. साथ ही हिमालयी क्षेत्र में आई आपदाओं में मारे गए व्यक्तियों को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी.
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने सभी प्रदेशवासियों को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं दी हैं. राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि पर्वतराज हिमालय भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व की अमूल्य धरोहर है. मानव जीवन की सुरक्षा, सभ्यता और संस्कृति के केंद्र हिमालय के संरक्षण के लिए जनसहभागिता जरूरी है. उन्होंने कहा कि हिमालय का संरक्षण हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है.
बदली परिस्थितियों में हिमालयी क्षेत्र और यहां के निवासी तमाम समस्याओं से जूझते आ रहे हैं. प्रत्येक हिमालयी राज्य की अलग-अलग कठिनाइयां हैं, जो अभी तक हल नहीं हो पाई हैं. इसके पीछे कुछ सरकारी उपेक्षा जिम्मेदार है तो कुछ विकास का पैमाना अलग होना इसका कारण माना जा सकता है. हिमालय सबकी आवश्यकता है। यह ठीक रहेगा तो सभी के हित सुरक्षित रहेंगे। इसी दृष्टिकोण के आधार पर हिमालय क्षेत्रों के लिए व्यापक नीति बनाने पर जोर दिया जा रहा है.