सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर पंजाब को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा, “ये राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं है. राजनैतिक ब्लेमगेम को रोकें. ये लोगों की हेल्थ की हत्या के समान है. आप इस मामले को दूसरों पर नहीं थोप सकते. आप पराली जलाने को क्यों नहीं रोक पाते..?
दरअसल, पंजाब सरकार के वकील ने कहा था कि पंजाब में 40 प्रतिशत पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई हैं. हम कदम उठा रहे हैं. दिल्ली-NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली और पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. दिल्ली सरकार ने हलफनामे में कहा है कि प्रदूषण को काबू करने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं. वहीं पंजाब सरकार ने कहा है कि पराली जलाने को रोकने को लेकर राज्य सरकार गंभीर है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नीतिगत मुद्दों में प्रवेश नहीं करते, लेकिन अगर लोग मर रहे हैं, तो हम नीतिगत मुद्दों में प्रवेश करेंगे. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान पराली जलाने को तुरंत रोकें. चीफ सेकेट्री और डीजीपी ये सुनिश्चित करें. सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने रोक लगाने के लिए कल यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली समेत राज्यों और केंद्र की बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि कैबिनेट सेकेट्ररी की अगुवाई में राज्यों के साथ बुधवार मीटिंग हो. शुक्रवार को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कुछ स्मॉग टॉवर के बंद पड़े होने पर सख्त नाराज़गी जताई. पूछा कि स्मॉग टॉवर कब काम करेंगे. स्मॉग टॉवर तुरंत शुरू होना चहिए. हम नहीं जानते सरकार कैसे स्मॉग टॉवर शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के चेयरमैन को अगली सुनवाई में पेश होने को कहा है. साथ ही कहा है कि डीपीसीसी प्रदूषण पर रियल टाइम डेटा इकट्ठा करे और इसे सार्वजनिक ना किया जाए.
ऑड-ईवर सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ऑड- ईवन योजना पर भी सवाल उठाए. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि आप पहले भी ऑड ईवन सिस्टम ला चुके हैं. क्या यह सफल हुआ है? हमें ये सिर्फ ऑप्टिक लगता है. दिल्ली में दीवाली के बाद 13 से 20 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना लागू की जाएगी. इस योजना की अवधि बढ़ाने पर फैसला 20 नवंबर के बाद लिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर तत्काल समाधान होना चाहिए. इस मामले में हमारा ज़ीरो पेशेंस है. इस पर पंजाब सरकार ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की कुछ स्थानीय समस्याएं हैं, उनको ध्यान रखना चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल ने हल्के अंदाज में कहा- प्रदूषण रोकने के लिए अपने आप से ही सरकारें सख्त कदम उठाएं, तो बेहतर है. हमने अपना बुलडोजर शुरू किया, तो फिर हम रुकेंगे नहीं. जस्टिस कौल ने कहा, “अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा, तो अगले 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा…हम चाहते है कि दीवाली की छुट्टियों से पहले सभी पक्ष मिलकर एक बैठक करें. हम इस समस्या का तत्काल समाधान चाहते हैं. यहां तक कि दिल्ली में बसों के जरिए होने वाले प्रदूषण का प्रतिशत भी बहुत बढ़ चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये समस्या साल दर साल आती है. इस पर तुरंत कदम उठाने की जरूरत है. इस मामले में कोर्ट की निगरानी की जरूरत है.
जस्टिस कौल ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर कुछ समस्या है, तो उसपर आपको ध्यान देना होगा. याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि खेतों में लगने वाली ये आग दिल्ली में पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ देती है. जस्टिस कौल ने पंजाब सरकार से कहा कि आपको ये आग रोकनी होगी. आपके प्रशासन को ऐसा करना ही होगा, स्थानीय SHO को इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. आज से ही उन्हें इस पर काम करना शुरू कर देना चाहिए. हम सिर्फ इसी उम्मीद में नहीं रह सकते कि मौसम में सुधार होगा. पंजाब में धान की फसल को फेज वाइज बाहर किया जाए. केंद्र सरकार इसमें वैकल्पिक फसल के लिए मदद करे. आदेश पारित करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि पराली जलाने और दमघोंटू धुएं की ये समस्या हाल के वर्षों की है, जब से पंजाब हरियाणा जैसे उत्तर पश्चिमी राज्यों में धान की फसल शुरू हुई है. पहले ऐसा नहीं था. हवा और भू-जल को स्थिति प्रभावित हुई है. दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और मौसम की स्थिति भी ऐसी है कि यहां सबसे बुरा असर दिखता है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली के सीएम ने कहा है कि एक सॉल्यूशन विकसित किया गया है, जिसके छिड़काव से पराली खाद में बदल जाती है. पंजाब सरकार ने इसका उपयोग कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की पंजाब को चेतावनी दी कि कुछ भी करें, पराली जलाने की घटनाएं रोकें. राजनीतिक दोषारोपण का खेल बंद हो. नीतियां इस पर निर्भर नहीं हो सकतीं कि कौन-सी पार्टी किस राज्य में शासन कर रही है. दिल्ली और पंजाब में एक ही पार्टी की सरकार है. सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि पराली जलाने की घटना बंद हों, यहां हर कोई एक्सपर्ट है, लेकिन समाधान किसी के पास नहीं है. समस्या धान की फसल के समय को लेकर है. साथ ही इसका असर भूजल स्तर पर भी पड़ता है. कुछ तो किया जाना चाहिए. धान से ज्यादा लोगों की जिदंगी जरूरी है. जब समस्या आती है, तो हम कदम उठाते हैं. फिर अगले साल वही हालात हो जाते हैं.
जस्टिस संजय किशन कौल केन्द्र सरकार को कहा कि आपको किसानों को धान की बजाए वैकल्पिक फसल की ओर शिफ्ट करने में मदद करनी होगी. आप देख रहे हैं कि दिल्ली में कितने बच्चे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर तत्काल समाधान होना चाहिए. इस मामले में हमारा ज़ीरो पेशेंस है. इस पर पंजाब सरकार ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की कुछ स्थानीय समस्याएं हैं, उनको ध्यान रखना चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल ने हल्के अंदाज में कहा- प्रदूषण रोकने के लिए अपने आप से ही सरकारें सख्त कदम उठाएं, तो बेहतर है. हमने अपना बुलडोजर शुरू किया, तो फिर हम रुकेंगे नहीं. जस्टिस कौल ने कहा, “अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा, तो अगले 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा…हम चाहते है कि दीवाली की छुट्टियों से पहले सभी पक्ष मिलकर एक बैठक करें. हम इस समस्या का तत्काल समाधान चाहते हैं. यहां तक कि दिल्ली में बसों के जरिए होने वाले प्रदूषण का प्रतिशत भी बहुत बढ़ चुका है.