Uttarakhand Assembly session: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के तीसरे दिन बुधवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा के साथ सदन की कार्यवाही शुरू हुई. इस दौरान विपक्षी विधायकों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा कि विधायकों से सुझाव नहीं लिये गये. सदन के नेता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद हैं.
इस बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि यह कॉपी और पेस्ट नहीं है. हिन्दू रीति और मुस्लिम सहित अन्य धर्म के लोगों की शादी परंपरा पर रोक नहीं है. लिव इन रिलेशनशिप पर एक तरफ आप कह रहे हो कि पंजीकरण ठीक नहीं और दूसरी तरफ आप उत्तराखंड में ऐसे नियम का विरोध कर रहे हो. हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने पीसीएस अभ्यर्थियों पर आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की. इस पर मुख्यमंत्री धामी ने सदन से अभ्यर्थियों पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने के लिए आश्वस्त किया.
क्या है विपक्ष का पक्ष?
कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस बिल को राज्य को नहीं केन्द्र को लाना चाहिए था. इस पर इंतजार करना चाहिए था, लेकिन इसे जल्दबाजी में लाया गया है. इस बिल को प्रवर को सौंपना चाहिए. इस पर सरकार ने विधायकों की राय नहीं ली साथ ही लड़की और बहनों को अधिकार मिलना चाहिए. शादी के बाद क्या ससुराल जाने के बाद लडक़ी को सुरक्षित रखने का अधिकार इसमें नहीं है.
कांग्रेस विधायक दल के उप नेता भुवन कापड़ी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि बाल विवाह एक्ट 1928 में आ गया था. लड़कियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार पहले से है, इसमें विशेष क्या आया है. उन्होंने कहा कि यह बिल कट, कॉपी और पेस्ट किया हुआ है. सभी धर्मों में अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं हैं. युवाओं की आजादी को खत्म करने और युवा अवस्था पर डंक मारा गया है, सहवास राजकीय भाषा का अपमान है. उत्तराखंड देवभूमि है और पर्यटन, धर्म और शिक्षा के लिए जाना जाता है. अब तो कोई भी उत्तराखंड आएगा और एक रूम लेकर लिव इन रिलेशनशिप में रह सकता है बिना शादी किए. यह राज्य के साथ मजाक है. सनातन और परंपराओं का उल्लंघन है.
चर्चा में क्या बोला विपक्ष
वहीं कांग्रेस विधायक जसपुर आदेश चौहान ने कहा कि यूसीसी पर कांग्रेस विरोध में नहीं है, लेकिन हमको पढ़ने का पर्याप्त समय नहीं मिला. इस पर विधायकों से राय लेनी चाहिए थी. इस दौरान उन्होंने श्रीराम के फ़ोटो को सांवले से काले पर चुटकी ली. तभी संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि भगवान श्रीराम के बारे इस तरह की टिप्पणी अपमान करने जैसा है. इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए.
धारचूला विधायक हरीश धामी ने कहा कि मेरे पास कई महिलाओं ने फोन कर इस विधेयक के लिए बधाई दिया है. हम इस विधेयक का हम समर्थन करते हैं, इसे प्रवर समिति को सौंप दिया जाए. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विधानसभा सत्र में जाने से पहले पत्रकारों से बातचीत में यूसीसी पर कहा कि इस पर गुणदोष के आधार पर एक बार इसे प्रवर समिति को सौंपना चाहिए. प्रवर समिति के रिपोर्ट आने बाद इस पर आगे बढ़ना चाहिए. सरकार को इस विधेयक लाने से पहले अभी और इंतजार करना चाहिए था. आदिवासी समाज को इससे बाहर क्यों किया गया है. हड़बड़ी किस बात की है, इसे चुनाव के बाद भी लाया जा सकता था, लेकिन भाजपा के पास चुनाव में जाने के लिए मुद्दे नहीं है. हरक सिंह रावत ने कहा कि मुझे इस संबंध कुछ मालूम नहीं है.
कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी ने कहा कि 12 घंटे के अध्ययन में यह समझ में आया कि इस रिपोर्ट में कुछ नया नहीं है. सबको उठाकर छापा गया है, उन्होंने एक सवाल पर कहा कि भाजपा सरकार विपक्ष के कदावर नेताओं के घर डर से ईडी की छापेमारी करवा रही है. सरकार तानाशाही अपनाकर अन्य दलों के नेतृत्व को खत्म करना चाहती है. सत्र में जाने से पहले विधानसभा मंडप के बाहर सीढ़ी पर हरिद्वार जिले के कांग्रेस विधायक वीरेन्द्र जाती, रवि बहादुर सहित अन्य ने किसानों का इक़बालपुर गन्ना मिल का 2018-19 का बकाया भुगतान दिलाओ की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि यूसीसी ड्राफ्ट में उत्तराखंड राज्य के बाहर रहने वाले लोगों पर और बाहर के लोगों के राज्य में कार्य के दौरान रहने किस तरह प्रावधान लागू होगा, यह समझ से परे है. विधायक प्रीतम ने कहा कि यूसीसी में बहुत खामियां हैं. इसे संविधान के दायरे में लागू करना चाहिए. खंड तीन में लिखा है, इसका विस्तार सम्पूर्ण उत्तराखंड पर है. यह कानून राज्य के बाहर रह रहे लोगों पर लागू होता है, लेकिन संविधान इसे इजाजत नहीं देता है. यह किस तरह से प्रभावी होगा यह समझ से परे है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार