National Women Day: सरोजिनी नायडू को एक महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ एक कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर जाना जाता है, उनका नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. उनके जन्मदिन 13 फरवरी को हर साल महिला दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. सरोजिनी नायडू ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. जिसके चलते महिलाओं के साथ वो पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रही हैं. आज उनके जन्मदिन के मौके पर सरोजिनी नायडू के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं.
1. सरोजिनी ने अपनी पूरी जिंदगी महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्पित कर दी. उन्होंने भारत की पहली महिला राज्यापाल (उत्तर प्रदेश) के रूप में शपथ ली थी.
2. केवल 12 साल की छोटी सी उम्र में सरोजिनी ने कविताएं लिखने की शुरुआत कर दी थी साथ ही उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, तेलुगु और बंगाली जैसी कई भाषाओं का ज्ञान था. उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक लाकर टॉप किया था.
3. 16 साल की आयु में सरोजिनी नायडू अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चली गईं. वहां उन्होंने किंग्स कॉलेज, लंदन और गिरटन कॉलेज में हायर एजुकेशन पूरी की.
4. सरोजिनी नायडू की शादी डॉ. गोविंद राजालु नायडू के साथ 19 साल की आयु में हो गई थी.
5. सरोजिनी नायडू साल 1914 में महात्मा गांधी से पहली बार इंग्लैंड में मिली थीं और तभी से उनके अंदर आजादी की ज्वाला पनपी. स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने खास भूमिका निभाई थी.
6. उन्होंने भारत के कई स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लिया, ”भारत छोड़ों आंदोलन” के समय सरोजिनी ने बढ़-चढ़कर इस सत्याग्रह से लोगों को जोड़ा. इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
7. वर्ष 1925 में सरोजिनी नायडू को कानपुर अधिवेशन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, वो पहली भारतीय महिला थीं जिन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
8. सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला के नाम से भी जाना जाता है. महात्मा गांधी उन्हें नाइटएंगल ऑफ इंडिया के नाम से बुलाते थे. यह नाम उनके साथ हमेशा के लिए जुड़ गया.
9. साल 1917 में वुमिन्स इंडिया एसोसिएशन का सरोजिनी को सह संस्थापक बनाया गया. उसी साल उन्होंने अपनी दोस्त एनी बेसेंट के साथ लंदन में सार्वभौमिक मताधिकार के समर्थन में दिए अपने भाषण से पूरे विश्व पर प्रभाव डाला.
10. 1919 में लंदन जाकर उन्होंने होमरूल लीग में हिस्सा लेकर देश के अधिकारों को लिए लोगों का समर्थन मांगा. इसके बाद वो कई दूसरी यात्राओं पर भी गयीं.
11. सरोजिनी नायडू को वर्ष में केसर-ए-हिंद टाइटल से सम्मानित किया गया जिसे उन्हें प्लेग के दौरान किये गए उनके कामों से प्रभावित होकर दिया गया था.
12. 2 मार्च 1949 को लखनऊ में उनका हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया. दुनिया छोड़ने के बाद भी उनका नाम हमेशा के लिए इतिहास में अमर हो गया. साल 2014 से उनके जन्मदिन को महिला दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत हुई और तभी से इसे हर साल बड़ी ही धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है.
13. आजादी की लड़ाई में सरोजिनी नायडू का योगदान अतुलनीय है जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.