Haridwar: अल्मोड़ा से अपनी राजनीति की शुरूआत कर प्रदेश अध्यक्ष से सांसद और मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय करने के बाद अब हरीश रावत ने परिवार समेत अपनी कर्मभूमि हरिद्वार को बनाया है. चार बार सांसद का चुनाव हारने के बाद जनता से तिरस्कृत हुए हरीश रावत ने अब अपने बेटे को हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतारकर परिवारवाद को बढ़ावा देने का कार्य किया है, लेकिन जनता समझदार है और इस बार भी माता-पिता की भांति बेटे को भी हार का स्वाद चखाएगी.
भाजपा उम्मीदवार की होगी बम्पर जीत
लक्सर क्षेत्र से पूर्व विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता संजय गुप्ता ने कहा कि भाजपा उम्मीदवार की हरिद्वार सीट से बम्पर वोटों से जीत होगी और केन्द्र में 400 पार से भाजपा सरकार बनाएगी.
पूर्व विधायक गुप्ता ने पत्रकार वार्ता में कहाकि अखण्ड यूपी के दौरान प्रदेश अध्यक्ष रहे हरीश रावत भले की चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे हो, किन्तु लम्बे समय से अल्मोड़ा की जनता ने इन्हें तिरस्कृत कर दिया. जिस कारण से वर्ष 2009 में हरीश रावत ने हरिद्वार सीट से चुनाव लड़ा. उसके बाद मुख्यमंत्री रहते हुए हरिद्वार से इन्होंने अपनी पत्नी रेणुका रावत को हरिद्वार से चुनाव लड़वाया, किन्तु भाजपा के डा. निशंक से उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा. वर्ष 2017 में पुनः हरीश रावत हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतरे और विधानसभा की हरिद्वार ग्रामीण व अल्मोडा दो सीटों से चुनाव लड़ा, किन्तु सीएम रहते हुए दोनों की स्थानों से इन्हें हार का सामना करना पड़ा.
बेटा भी चखेगा हार का स्वाद
उन्होंने कहा कि इतना होने के बाद भी इन्होंने वर्ष 2022 में विस चुनावों में हरिद्वार ग्रामीण सीट से अपनी बेटी अनुपमा रावत को चुनाव मैदान में उतारा और उन्होंने विजय हासिल की. परिवारवादी पार्टी से जुड़े हरीश रावत इतना होने के बाद भी परिवारवाद को बढ़ावा देने में लगे रहे. अब चुनाव में स्वंय को टिकट न मिलने पर उन्होंने अपने बेटे वीरेन्द्र रावत को हरिद्वार सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया.
उन्होंने कहा कि इस चुनाव में हार का स्वाद चखने के बाद अब हरीश रावत आगामी निगम और पंचायत चुनावों में भी अपने परिवार को चुनाव लड़ाएंगे. इन्हें केवल अपने परिवार से मतलब है, जनता के सुख-दुःख से इन्हें कोई सरोकार नहीं है. मुख्यमंत्री और सांसद रहते हुए भी इन्होंने हरिद्वार के विकास के लिए कुछ नहीं किया.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार