Dehradun: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि उत्तराखंड हिमालय की गोद में बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य की एक अतुलनीय धरोहर प्रदान करता है. उत्तराखंड अपनी समृद्ध और विविध वन संपदा के लिए जाना जाता है. राज्य की प्रमुख संपत्ति इसके वन हैं, जो समृद्ध जैव विविधता का घर है. उत्तराखंड जड़ी-बूटियों और सुगंधित पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है. उत्तराखंड के आम जनमानस वनों को देवतुल्य स्थान देते हुए इन्हें पूजते हैं. वास्तव में वन संरक्षण के मामले में हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह के अवसर पर बुधवार को राज्यपाल ने कहा कि यह समारोह राष्ट्रीय वन धरोहर के संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में नए योग्य नेतृत्व का उत्थान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. भारतीय वन्य जीवन और वन्यजीव अध्ययन में उत्कृष्टता के लिए एक प्रमुख संस्था के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने अपने क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस संस्था ने वन्य जीवन के प्रबंधन, और संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता के मानकों को स्थापित किया है और नए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है.
राष्ट्र सेवा की गौरवशाली परंपरा जुड़ी है भारतीय वन सेवा
भारतीय वन सेवा एक सम्मानित सेवा है जिसके साथ राष्ट्र सेवा की गौरवशाली परंपरा जुड़ी है. पश्चिमी घाट के घने जंगलों से लेकर विशाल हिमालय तक, सुंदर वन के मैंग्रोव क्षेत्रों से लेकर राजस्थान की मरुभूमि तक, अनेक विविधतापूर्ण स्थानों पर अपनी सेवाएं देंगे. उन्होंने कहा कि वानिकी पेशेवरों के रूप में इन अधिकारियों का एक महत्वपूर्ण चरण आरंभ होने जा रहा है, जहां उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों के विषम क्षेत्रों में वनाग्नि और बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने की चुनौतियां सामने होंगी. इनका सामना केवल तकनीकी विशेषज्ञता के बल पर नहीं, बल्कि तकनीकी लचीलेपन, बेहतर अनुकूलन क्षमता और संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से ही किया जा सकता है. इस दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, वन महानिदेशक और विशेष सचिव जितेंद्र कुमार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक जगमोहन शर्मा आदि थे.
जंगल के पोषण और संवर्धन की बड़ी जिम्मेदारी है वन अधिकारियों पर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून में दीक्षांत समारोह में भारतीय वन सेवा 101 प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र और पदक प्रदान किए. 2022-24 सत्र के 99 भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थी और मित्र देश भूटान के दो प्रशिक्षु अधिकारी पासआउट हुए. उन्होंने कहा कि इस बैच में 10 महिला अधिकारी हैं. महिलाएं समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक हैं. राष्ट्रीय वन अकादमी की पर्यावरण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए.
अपने बड़े अधिकारियों को बनाए रोल मॉडल
राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी की जैव-विविधता और प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है. देश के वन सेवा में कार्यरत अधिकारी महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं. राष्ट्रपति ने कहा देश को भारतीय वन सेवा ने बहुत अधिकारी दिये हैं, जिन्होंने पर्यावरण के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं. उनकी चर्चा बहुत सम्मान से की जाती है. उन सभी को आप अपना रोल मॉडल बनाएं और उनके दिखाए आदर्शों पर आगे बढ़ें.
अब शुरू होगी असली परीक्षा
आप सभी एक कठिन परीक्षा को उत्तीर्ण करके यहां तक पहुंचे हैं. असली परीक्षा अब शुरू होगी. आपके सामने कई चुनौतियां आएंगी. जब भी आप किसी दुविधा में हों, तब संविधान के मूल्यों और भारत के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लें.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार