Lok Sabha Election2024: लोकसभा चुनावों में दक्षिण भारत की राजनीति महत्वपूर्ण योगदान निभाती है, यहां कर्नाटक के समीकरण को भी समझना जरूरी हो जाता है क्योकि यही एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा का दबदबा हमेशा से रहा है. तमाम सियासी खींचतान के बाद भी बीजेपी इस जगह पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में कामयाब रही है. हालांकि सरकार में हमेशा ही बदलाव का दौर जारी रहा है इसके बावजूद यहां पर मोदी लहर बरकरार रही है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों के बीच कर्नाटक की राजनीति में कांग्रेस और बीजेपी के बीच असली संग्राम देखने को मिलने वाला है.
सत्ता का हिस्सा न होने के बाद भी साल 2019 में बीजेपी ने कर्नाटक में एकतरफा सफलता पाई थी जिसमें उसकी सियासी पैठ को मजबूत किया. इस बार के चुनावों में बीजेपी लोकतंत्र की पिच पर जेडीएस के साथ मिलकर कुछ बड़ा करने के लिए उतरी है. जहां दोनों पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ रहीं हैं. वहीं प्रदेश की राजनीति का हिस्सा होते हुए भी कांग्रेस को साल 2019 में बड़ा धक्का लगा था जिसकी भरपाई अभी तक न हो सकी. उस वक्त लोकसभा सीट पर कांग्रेस को महज एक ही सीट मिल पाई थी. इस बार यह अकेले ही 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
कांग्रेस-बीजेपी, किसकी पकड़ मजबूत?
कर्नाटक राज्य की लोकसभा की बात करें तो यहां पर कुल 28 सीटें हैं. साल 2019 के चुनावों में बीजेपी ने 28 में सें 25 पर जीत पाने में सफल रही थी तो वहीं कांग्रेस और जेडीएस को एक-एक सीट से ही काम चलाना पड़ा था. इससे पहले वर्ष 2014 में भाजपा 17 और कांग्रेस 9 सीटों पर आई थी. 2009 में बीजेपी और कांग्रे में सीटों का यह अनुपात 19 और 6 रहा था. वर्ष 2004 में बीजेपी 18 तो दूसरी तरफ कांग्रेस 8 सीटें निकाल पाई थी. इस प्रकार बीजेपी की लोसकभा में हमेशा ही यहां पर अच्छी मजबूती रही है.
कर्नाटक में इस बार बीजेपी के सामने रिकॉर्ड 25 सीटों पर जीत हासिल कर 2019 को रिपीट करने की चुनौती है. तो वहीं कांग्रेस के आगे बीजेपी-जेडीएस की घेराबंदी को पार कर अकेले सीटों पर जीत दर्ज करने की दोहरी चुनौती है.
कर्नाटक में लोकसभा सीटों पर कब और कहां चुनाव
कर्नाटक की कुल मिलाकर 28 लोकसभा सीटें हैं, यहां पर 2 फेजों में चुनाव होना है. प्रदेश की 14 सीटों पर दूसरे चरण में और 14 सीट पर तीसरे चरण मतदान होने जा रहा है. दूसरे चरण में कर्नाटक की तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण, उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, चिकबल्लापुर और कोलार सीटों पर 26 अप्रैल वोटिंग है. वहीं तीसरे फेज में चिक्कोडी, बेलगाम, बीदर, बागलकोट, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचुर, कोप्पल, बेल्लारी, हवेरी, धारवाड़, उत्तर कन्नड़, दावानगरी और शिमोगा आदि सीटों पर 7 मई की तारीख चुनी गई है. दूसरे चरण की जिन सीटों पर चुनाव है वहां से अधिकांश पर बीजेपी का कब्जा है.
अकेले चुनाव लड़ने उतरी है कांग्रेस
कर्नाटक लोकसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस पार्टी अकेले ही किस्मत परखने के लिए उतरी है. पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो वहां पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी. वहीं लोकसभा चुनावों के हिसाब से देंखे तो इस पार्टी की स्थिती खस्ताहाल है हर एक सीट के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा. इस बार बीजेपी और जेडीएस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं जिसमें 28 में से 25 भाजपा और 3 सीटों पर जेडीएस मैदान में उतरी है.
साल 2019 में कांग्रेस से ओबीसी वोटर्स नाराज थे जिसका फल उन्होंने पार्टी को करारी हार देकर दिया था वहीं इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ था. इस बार यह पार्टी दलित और आदिवासी वोटर्स को एकजुट करने के लिए कई काम काम किए है. वहीं वोक्कालिगा समुदाय जोकि जेडीएस का वोटर है वो भी बीजेपी को इस बार समर्थन दे सकता है. कर्नाटक की सियासत में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय अति महत्वपूर्ण हैं जोकि चुनावों में उलटफेर कर सकते हैं, भाजपा इसका झटका पहले विधान सभा चुनावों में झेल चुकी है. यही कारण है कि इस बार बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है.
जेडीएस प्रमुण एचडी देवेगौड़ा वोक्कालिगा वर्ग का जानामाना चेहरा हैं. इस बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं कर्नाटक की ज्यादातर राजनीति इन दोनों समुदायों के इर्द गिर्द ही बुनी हुई है. कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से वार प्रतिवार का सिलसिला जारी है जहां दोनों ही दल अपने मुद्दों को भुना रहे हैं.